कितनी ही याद आएगी तेरी, एक दिन भूल जाऊंगा, देखना अब मैं कभी लौटकर नहीं आऊंगा। तन्हाई में बैठकर दर्द को अपनी क़लम से लिखता हूँ, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो…” खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन? तेरा अकेलापन मुझे अकेला होने https://youtu.be/Lug0ffByUck